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    • बेंच 1 की सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस लिंक हाइब्रिड मोड के माध्यम से उत्तराखंड राज्य आयोग के कारण सूची मॉड्यूल में संबंधित तिथियों के तहत ई- जागृति वेब पोर्टल में उपलब्ध है। वकील/उपभोक्ता वेबेक्स एप्लिकेशन के माध्यम से अदालत की कार्यवाही में शामिल हो सकते हैं।

    हमारे बारे में

    राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तराखण्ड, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के अन्तर्गत प्रदेश में उपभोक्ता विवादों को शीघ्र व सरल प्रक्रिया द्वारा निपटाये जाने हेतु बनायी गई एक अर्द्ध-न्यायिक शासकीय संस्था है। इसका क्षेत्राधिकार सम्पूर्ण उत्तराखण्ड है। यहां एक पचास लाख रूपये से अधिक व रू0 दो करोड़ रूपये तक के उपभोक्ता विवाद सम्बन्धी मामले सीधे दायर किये जाते हैं।

    प्रदेश में स्थापित 13 जिला आयोग , राज्य आयोग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करते हैं तथा राज्य आयोग अपीलीय न्यायालय के रूप में भी कार्य करता है। उच्च न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश या सेवानिवृत्त न्यायाधीश को राज्य सरकार द्वारा राज्य आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है, जबकि सदस्यों की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है। वर्तमान में, राज्य आयोग के अध्यक्ष का पद रिक्त है, जबकि राज्य आयोग में न्यायिक सदस्य का एक पद रिक्त है।

    प्रत्येक जिला मुख्यालय में जिला उपभोक्ता आयोग स्थापित है। जिला आयोग में मामूली न्यायालय शुल्क के साथ पचास लाख रुपये तक की उपभोक्ता शिकायत दर्ज की जा सकती है। प्रत्येक जिला मुख्यालय में जिला आयोग स्थापित है। उत्तरकाशी और टिहरी गढ़वाल जिलों के अध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार देहरादून जिला आयोग के अध्यक्ष को दिया गया है; पौड़ी गढ़वाल, चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों के अध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार हरिद्वार जिला आयोग के अध्यक्ष को दिया गया है; अल्मोड़ा और बागेश्वर जिले के अध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार जिला आयोग, नैनीताल के अध्यक्ष को दिया गया है; चंपावत और पिथौरागढ़ जिले के अध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार जिला आयोग, उधमसिंह नगर के अध्यक्ष को दिया गया है। जिला आयोग में एक करोड़ रूपये तक मूल्यांकन के उपभोक्ता परिवाद नाममात्र का शुल्क अदा कर प्रस्तुत किये जा सकते है।

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    श्री पुष्कर सिंह धामी

    माननीय मुख्यमंत्री, उत्तराखंड

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